. ⚠️ पृष्ठभूमि: Pahalgam आतंकवादी हमला
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के Pahalgam में हुआ खौफनाक आतंकी हमला जिसमें 25 भारतीय पर्यटकों की मौत हुई। इस हमले के लिए The Resistance Front (TRF) ने जिम्मेदारी ली, जिसके बाद भारत ने पाकिस्तान पर आरोप लगाया कि वह हमलावरों का समर्थन करता है। पाकिस्तान ने इन आरोपों से इनकार किया और एक अंतरराष्ट्रीय जांच की पेशकश की है ।
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2. 🔥 सैन्य टकराव: मिसाइल हमले और जवाबी वार
24 अप्रैल से नियंत्रण रेखा (LoC) पर दोनों देशों के बीच तीव्र गोलीबारी और फायरिंग शुरू हुई।
भारत ने 7 मई को ऑपरेशन "Sindoor" शुरू कर पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों के खिलाफ मिसाइल हमले किए। भारत का दावा था कि यह Jaish-e-Mohammed और Lashkar-e-Taiba समूहों को निशाना बना रहा था।
पाकिस्तान ने भी उसी दिन काउंटर-ऑपरेशन किया जिसमें पोंछ क्षेत्र में सैन्य और नागरिक नुक़सान हुआ, 16 मौतें और सैकड़ों घरों को नुकसान पहुँचा ।
10 मई को भारत-पाकिस्तान दोनों के बीच अंतरराष्ट्रीय दबाव और कूटनीतिक पहल के बाद संघर्ष विराम की घोषणा हुई ।
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3. 🌍 क्षेत्रीय और वैश्विक प्रभाव
यह युद्धग्रस्त परिस्थिति दक्षिण एशिया में बढ़ते तनाव को दर्शाती है, जो न केवल दोनों देशों पर अत्यधिक प्रभाव डालती है बल्कि इस क्षेत्र की स्थिरता के लिए भी खतरा है।
संघर्ष विराम के बाद प्रबंधन चुनौतियाँ बढ़ी—जैसे आतंकवाद-रोधी रणनीति बनाम कूटनीतिक वार्ता के बीच सामंजस्य बनाना।
पारस्परिक भरोसे की कमी ने इस तनाव को और बढ़ा दिया, विशेषकर जल और व्यापार पर डिप्लोमैटिक स्पॉटलाइट डालते हुए।
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4. 🧐 आगे का मार्ग और जोखिम
इस संकट के बाद दोनों देशों के सरकारों को दीर्घावधि समाधान ढूंढने होंगे—जो केवल सैन्य बल्कि राजनयिक संवाद पर आधारित हो।
संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका, चीन जैसे देशों से पाठशाला-स्थित सलाह और दबाव जारी रहेंगे।
अगर भविष्य में ऐसा फिर से होता है, तो ऊपर से बढ़े मुकाबले का जोखिम और अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता की आवश्यकता हो सकती है।
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🔚 निष्कर्ष
अप्रैल-मई 2025 का भारत–पाकिस्तान संकट दक्षिण एशिया के लिए एक मजबूत चेतावनी है। यह बताता है कि एक सतर्क, कूटनीतिक और सैन्य संतुलन ही स्थायी शांति का मार्ग हो सकता है। ऑपरेशन Sindoor के बाद घोषित संघर्ष विराम ने खूनखराबे को रोका, लेकिन राजनयिक समाधान बनाए रखना ही भविष्य की कुंजी है।